सत्योपचार
From जैनकोष
धवला पुस्तक 14/5,6,16/13/4
सिद्धाणं पि जीवत्तं किण्ण इच्छिज्जदे ण, उवयारस्स सच्चात्ताभावादो।
= प्रश्न-सिद्धों के भी जीवत्व क्यों नहीं स्वीकार किया जाता है। उत्तर-नहीं, क्योंकि सिद्धों में जीवत्व उपचार से है, और उपचार को सत्य मानना ठीक नहीं है।
अधिक जानकारी के लिये देखें उपचार - 4.1।