GP:प्रवचनसार - गाथा 106 - अर्थ
From जैनकोष
भिन्न-भिन्न प्रदेशता पृथक्त्व और अतद्भाव (उसरूप नहीं होना) अन्यत्व है, जो उसरूप न हो वह एक कैसे हो सकता है? ऐसा भगवान महावीर का उपदेश है ।
भिन्न-भिन्न प्रदेशता पृथक्त्व और अतद्भाव (उसरूप नहीं होना) अन्यत्व है, जो उसरूप न हो वह एक कैसे हो सकता है? ऐसा भगवान महावीर का उपदेश है ।