GP:प्रवचनसार - गाथा 122 - अर्थ
From जैनकोष
परिणाम स्वयं आत्मा है और वह क्रिया-परिणाम जीवमय है, क्रिया कर्म मानी गई है; इसलिये कर्म (द्रव्यकर्म) का कर्ता आत्मा नहीं है ।
परिणाम स्वयं आत्मा है और वह क्रिया-परिणाम जीवमय है, क्रिया कर्म मानी गई है; इसलिये कर्म (द्रव्यकर्म) का कर्ता आत्मा नहीं है ।