GP:प्रवचनसार - गाथा 140 - अर्थ
From जैनकोष
[अणुनिविष्टं आकाशं] एक परमाणु जितने आकाश में रहता है उतने आकाश को [आकाश-प्रदेशसंज्ञया] 'आकाश-प्रदेश' ऐसे नाम से [भणितम्] कहा गया है । [च] और [तत्] वह [सर्वेषां अणूनां] समस्त परमाणुओं को [अवकाशं दातुं शक्नोति] अवकाश देने को समर्थ है ॥१४०॥