GP:प्रवचनसार - गाथा 166 - तत्त्व-प्रदीपिका
From जैनकोष
अथ परमाणूनां पिण्डत्वस्य यथोदितहेतुत्वमवधारयति -
यथोदितहेतुकमेव परमाणूनां पिण्डत्वमवधार्यं, द्विचतुर्गुणयोस्त्रिपञ्चगुणयोश्च द्वयो: स्निग्धयो: द्वयो रुक्षयोर्द्वयो: स्निग्धरुक्षयोर्वा परमाण्वोर्बन्धस्य प्रसिद्धे: ।
उक्तं च -
[णिद्धा णिद्धेण बज्झंति लुक्खा लुक्खा य पोग्गला ।
णिद्धलुक्खा य बज्झंति रूवारूवी य पोग्गला ॥
णिद्धस्स णिद्धेण दुराहिएण लुक्खस्स लुक्खेण दुराहिएण।
णिद्धस्स लुक्खेण हवेदि बंधो जहण्णवज्जे विसमे समे वा ॥१६६॥ ]