GP:प्रवचनसार - गाथा 180 - अर्थ
From जैनकोष
[परिणामात् बंध:] परिणाम से बन्ध है, [परिणाम: रागद्वेषमोहयुत:] (जो) परिणाम राग-द्वेष-मोहयुक्त है । [मोहप्रद्वेषौ अशुभौ] (उनमें से) मोह और द्वेष अशुभ है, [राग:] राग [शुभ: वा अशुभ:] शुभ अथवा अशुभ [भवति] होता है ।