वामदेव
From जैनकोष
१. मूलसंघी भट्टारक । गुरु परम्परा-विनयचन्द, त्रैलोक्यकीर्ति, लक्ष्मीचन्द्र, वामदेव । प्रतिष्ठा आदि विधानों के ज्ञाता एक जिनभक्त कायस्थ । कृतियें-भावसंग्रह, त्रैलोक्यप्रदीप, प्रतिष्ठा सूक्तिसंग्रह, त्रिलोकसार पूजा, तत्त्वार्थसार, श्रुतज्ञानोद्यापन, मन्दिर संस्कार पूजा। समय-वि.श.१४-१५ के लगभग (जै./१/४८४, ४२९), (ती./४/६५)।