वासुपूज्य
From जैनकोष
म.पु./५८/श्लोक–पूर्वभव नं. २ में पुष्करार्ध द्वीप के पूर्व मेरु सम्बन्धी वत्सकावती देश में रत्नपुर नगर के राजा ‘पद्मोत्तर’ थे।२। पूर्व भव में महाशुक्र स्वर्ग में देव हुए।१३। वर्तमानभव में १२वें तीर्थंकर हुए।–दे. तीर्थंकर/५।
म.पु./५८/श्लोक–पूर्वभव नं. २ में पुष्करार्ध द्वीप के पूर्व मेरु सम्बन्धी वत्सकावती देश में रत्नपुर नगर के राजा ‘पद्मोत्तर’ थे।२। पूर्व भव में महाशुक्र स्वर्ग में देव हुए।१३। वर्तमानभव में १२वें तीर्थंकर हुए।–दे. तीर्थंकर/५।