ग्रन्थ:सर्वार्थसिद्धि - अधिकार 1 - सूत्र 28
From जैनकोष
227. अथ तदनन्तरनिर्देशभाजो मन:पर्ययस्य को विषयनिबन्ध इत्यत आह –
227. अब इसके अनन्तर निर्देशके योग्य मन:पर्ययज्ञानका विषयसम्बन्ध क्या है इस बात के बतलानेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं –
तदनन्तभागे मन:पर्ययस्य।।28।।
मन:पर्ययज्ञानकी प्रवृत्ति अवधिज्ञानके विषयके अनन्तवें भागमें होती है।।28।।
228. यदेतद्रूपि[1] द्रव्यं सर्वावधिज्ञानविषयत्वेन समर्थितं तस्यानन्तभागीकृतस्यैकस्मिन्भागे मन:पर्यय: प्रवर्तते।
228. जो रूपी द्रव्य सर्वावधिज्ञानका विषय है उसके अनन्त भाग करनेपर उसके एक भागमें मन:पर्ययज्ञान प्रवृत्त होता है।
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सर्वार्थसिद्धि अनुक्रमणिका
- ↑ यद्रूपि—दि. 1, दि. 2।