विमान पंक्तिव्रत
From जैनकोष
स्वर्गों में कुल ६३ पटल हैं। प्रत्येक पटल में एक–एक इन्द्रक और उसके चारों दिशाओं में अनेक श्रेणीबद्ध विमान हैं। प्रत्येक विमान में जिन चैत्यालय हैं। उनके दर्शन की भावना के लिए यह व्रत किया जाता है। प्रारम्भ में एक तेला करे। फिर पारणा करके ६३ पटलों में से प्रत्येक के लिए निम्न प्रकार उपवास करे । प्रत्येक इन्द्रक का एक बेला, चारों दिशाओं के श्रेणीबद्धों के लिए पृथक्-पृथक् एक-एक करके चार उपवास करे । बीच में एक-एक पारणा करे । इस प्रकार प्रत्येक पटल के १ बेला, चार उपवास और ५ पारणा होते हैं। ६३ पटलों के ६३ बेले, २५२ उपवास और ३१५ पारणा होते हैं। अन्त में पुनः एक तेला करें। ‘‘ओं हीं ऊर्ध्वलोकसंबन्धि-असंख्यातजिनचैत्यालयेभ्यो नमः’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करें। (ह.पु./३४/८६-८७); (वसु.श्रा./३७६-३८१); (व्रत विधान संग्रह/पृ.११५)।