विराट
From जैनकोष
पां.पु./सर्ग/श्लो-विराट नगर का राजा था। (१७/४१)। वनवासी पाँचों पाण्डवों ने छद्मवेश में इसी का आश्रय लिया था। (१७/४२)। गोकुल हरण करने को उद्यत कौरवों के साथ युद्ध करता हुआ उनके बन्धन में पड़ गया। (१८/२३)। तब गुप्तवेश में अर्जुन ने इसे मुक्त कराया। (१८/४०)। प्रसन्न होकर अपनी कन्या उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से परणा दो। (१८/१६३)।