विरुद्धराज्यातिक्रम
From जैनकोष
स.सि./७/२७/३६७/४ उचितन्यायादन्येन प्रकारेण दानग्रहणमतिक्रमः। विरुद्धं राज्यं विरुद्धराज्यं, विरुद्धराज्येऽतिक्रमः विरुद्धराज्यातिक्रमः। ‘तत्र ह्यल्पमूल्यलभ्यानि महार्घ्याणि द्रव्याणीति प्रयत्नः। = विरुद्ध जो राज्यं वह विरुद्धराज्य है। राज्य में किसी प्रकार का विरोध होने पर मर्यादा का न पालना विरुद्धराज्यतिक्रम है। यदि वहाँ अल्पमूल्य में वस्तुएँ मिल गयीं तो उन्हें महँगा बेचने का प्रयत्न करना (अर्थात् ब्लैकमार्केट करना) विरुद्धराज्यातिक्रम है। न्याय मार्ग को छोड़कर अन्य प्रकार से वस्तु ली गयी है, इसलिए यह अतिक्रम या अतिचार है। (रा.वा./७/२७/३/५५४/११)।