विवक्षा
From जैनकोष
स.भ.त./३/३ प्राश्निकप्रश्नज्ञानेन प्रतिपादकस्य विवक्षा जायते, विवक्षया च वाक्यप्रयोगः। = प्रश्नकर्ता के प्रश्नज्ञान से ही प्रतिपादन करने वाले की विवक्षा होती है और विवक्षा से वाक्य प्रयोग होता है।
स्व.स्तो./२५/६९ वक्तुरिच्छा विवक्षा। = वक्ता की इच्छा को विवक्षा कहते हैं। [अर्थात् नय को विवक्षा कहते हैं–दे.नय/I/१/१/२]। [AWm©V² Z` H$mo {ddjm H$hVo h¢&–Xo. Z`/I/१/१/२] &
- विवक्षा का विषय–दे. स्याद्वाद/२, ३।