वृद्धि
From जैनकोष
- वृद्धि
रा.वा./४/४२/४/२५०/१८ अनुवृत्तपूर्वस्वभावस्य भावान्तरेण आधिक्यं वृद्धिः । = पूर्व स्वभाव को कायम रखते हुए भावान्तर रूप से अधिकता हो जाना वृद्धि है । २.चय अर्थात् Common difference.
- अन्य सम्बन्धित विषय
- षट् वृद्धियों के लिए नियत सहनानियाँ ।–दे. गणित/II/३/४ ।
- गुणहानि-वृद्धि ।–दे. गणित/ II /५/३ ।
- षट् वृद्धियों के लिए नियत सहनानियाँ ।–दे. गणित/II/३/४ ।