यतिवृषभ
From जैनकोष
दिगम्बर आचार्यों में इनका स्थान ऊँचा है क्योंकि इनके ज्ञान व रचनाओं का सम्बन्ध भगवान् वीर की मूल परम्परा से आगत सूत्रों के साथ माना जाता है। आर्य मंक्षु व नागहस्ति के शिष्य थे। कृति - कषाय प्राभृत के चूर्णसूत्र, तिल्लोयपण्णत्ति । समय−वी. नि.६७०-७००, वि. २००-२३०, ई. १४३-१७३ (विशेष देखें - कोश भाग / १/परिशिष्ट/३/५)।