रम्यकक्षेत्र
From जैनकोष
रा. वा./३/१०/१४/१८१/११ यस्माद्रमणीयैर्देशैः सरित्पर्वतकाननादिभिर्युक्तः, तस्मादसौ रम्यक इत्यभिधीयते । अन्यत्रापि रम्यकदेश-योगः समान इति चेत्; न; रूढिविशेषबललाभाद् । = रमणीय देश, नदी, पर्वतादि से युक्त होने के कारण इसे रम्य कहते हैं । यद्यपि अन्यत्र भी रमणीक क्षेत्र आदि हैं, परन्तु ‘रम्यक’ नाम इसमें रूढ ही है ।
- अन्य सम्बन्धित विषय
- रम्यक क्षेत्र का अवस्थान व विस्तार आदि− देखें - लोक / ३ / ३ ।
- इस क्षेत्र में कालवर्तन आदि सम्बन्धी विशेषता− देखें - काल / ४ ।