वज्रघोष
From जैनकोष
म. पु./७३/श्लोक नं.−पार्श्वनाथ भगवान् का जीव बड़े भाई कमठ द्वारा मारा जाने पर सल्लकी वन में वज्रघोष नाम का हाथी हुआ।११-१२। पूर्व जन्म का स्वामी राजा संयम लेकर ध्यान करता था। उसपर उपसर्ग करने को उद्यत हुआ, पर पूर्वभव का सम्बन्ध जान शान्त हो गया। मुनिराज के उपदेश से श्रावकव्रत अंगीकार किये। पानी पीने के लिए एक तालाब में घुसा तो कीचड़ में फँस गया। वहाँ पुनः कमठ के जीव ने सर्प बनकर डँस लिया। तब वह मरकर सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ।१६-२४। यह पार्श्वनाथ भगवान् का पूर्व का आठवाँ भव है। −विशेष देखें - पार्श्वनाथ।