वादिराज
From जैनकोष
- आ.समन्त भद्र (ई.१२०-१८५) का अपर नाम ( देखें - इतिहास / ७ / १ )।
- दक्षिण देशवासी श्री विजय (ई.९५०) के गुरु। समय-ई.श.१० का पूर्वार्ध। (ती./३/९२)।
- द्रविड़संघ नन्दि गच्छ उरुंगल शाखा मति सागर के शिष्य, श्रीपाल के प्रशिष्य, अनन्तवीर्य तथा दयापाल के सहधर्मा । एकीभाव स्त्रोत की रचना द्वारा अपने कुष्ट रोग का शमन किया। कृति - पार्श्वनाथ चरित्र, यशीधर चरित्र, एकीभाव स्त्रोत, न्याय विनिश्चय विवरण, प्रमाण निर्णय। समय - चालुक्य नरेश जयसिंह (ई.१०१६-१०४२) द्वारा सम्मानित। पार्श्वनाथ चरित्र का रचना काल शक ९४७ (ई.१०२५) अतः ई.१०१०-१०६५। ( देखें - इतिहास / ६ / ३ )। (ती./३/८८-९२)।