सांख्यदर्शन के प्रसिद्ध प्रणेता। इन्होंने ही सांख्यमत में ईश्वरवाद का समावेश किया था। (देखें - सांख्य )। इन्होंने ही योगदर्शन के व्यासभाष्य पर योगवार्तिक लिखा है (देखें - योग दर्शन )। तथा अविभागाद्वैतवादरूप वेदान्त के संस्थापक भी यही थे।
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