परीलेखा
From जैनकोष
भ.आ./वि./६८/१९६ पडिलेहा आराधनाया व्याक्षेपेण बिना सिद्धिर्भवति न वा राज्यप्य देशस्य ग्रामनगरादेस्तत्र प्रधानस्य वा शोभनं वा नेति एवं निरूपणम्। = पडिलेहा - आराधना में यदि विघ्न उपस्थित हो तो आराधना की सिद्धि नहीं होती। अतः उसकी निर्विघ्नता के लिए राज्य, देश, गाँव, नगर का शुभ होगी या अशुभ होगा इसका अवलोकन करना।