पर्यायवत्त्व
From जैनकोष
रा.वा./२/७/१३/११२/२२ पर्यायवत्त्वमपि साधारणं सर्वद्रव्याणां प्रतिनियतापर्यायोत्पत्तेः। कर्मोदयाद्यपेक्षाभावात्तदपि पारिणामिकम्। = प्रतिनियत पर्यायों की उत्पत्ति होने से पर्यायवत्त्व भी सभी द्रव्यों में पाया जाता है। तथा कर्मोदय आदि की अपेक्षा का अभाव होने से यह भी पारिणामिक है।