पुरुष सिंह
From जैनकोष
म. पु./६१/श्लोक पूर्वक के दूसरे भव में राजगृह नगर का राजा सुमित्र था (५७)। फिर महेन्द्र स्वर्ग में देव हुआ (६३-६५)। वहाँ से च्युत होकर वर्तमान भव में ५ वाँ नारायण हुआ (७१)। (विशेष देखें - शलाकापुरुष )।
म. पु./६१/श्लोक पूर्वक के दूसरे भव में राजगृह नगर का राजा सुमित्र था (५७)। फिर महेन्द्र स्वर्ग में देव हुआ (६३-६५)। वहाँ से च्युत होकर वर्तमान भव में ५ वाँ नारायण हुआ (७१)। (विशेष देखें - शलाकापुरुष )।