प्रतिपात
From जैनकोष
स.सि./१/२४/१३०/८ प्रतिपतनं प्रतिपातः । = गिरने का नाम प्रतिपात है । (रा.वा./१/२४/१/८५/१९) ।
रा.वा./१/२२/४/८२/४ प्रतिपातीति विनाशी विद्युत् प्रकाशवत् । = प्रतिपाती अर्थात् बिजली की चमक की तरह विनाशशील बीच में ही छूटने वाला (अवधिज्ञान) ।