प्रत्यासत्ति
From जैनकोष
रा.वा.हिं./१/७/६४ निकटता का नाम प्रत्यासत्ति है । वह द्रव्य, क्षेत्र, काल व भाव के भेद से चार प्रकार है । तिनके लक्षण निम्न प्रकार हैं -
- कोई पर्यायकै कोई पर्यायकरि समवाय तै निकटता है । जैसे स्मरणकै और अनुभवकै एक आत्मा विषै समवाय है (यह द्रव्य प्रत्यासत्ति है) ।
- बगुलाकी पंक्ति के और जल के क्षेत्र प्रत्यासत्ति है ।
- सहचर जो सम्यग्दर्शन ज्ञान सामान्य, तथा शरीर विषै जीव और स्पर्शन विशेष, तथा पहले उदय होय भरणी-कृतिका नक्षत्र, तथा कृतिका-रोहिणी नक्षत्र-इनके काल प्रत्यासत्ति है ।
- गऊ-गवयका एक रूप, केवली-सिद्ध के केवलज्ञान का एक स्वरूपपना ऐसे भाव प्रत्यासत्ति है ।