प्रोष्ठिल
From जैनकोष
- यह भाविकालीन नवें तीर्थंकर हैं । अपरनाम प्रश्नकीर्ति व उदंक है ।- देखें - तीर्थंकर / ५ / १ ।
- श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम(श्रुतकेवली) के पश्चात् ११ अंग व दश पूर्वधारी हुए । आपका समय - वी. नि. १७२-१९१. (ई.पू.३५५-३३६) दृष्टि नं. ३ के अनुसार वी.नि. २३२-२५१. - देखें - इति / ४ / ४