बनारसीदास
From जैनकोष
आगरा निवासी श्रीमान वैश्य थे । इनका जन्म जौनपुर में खरगसेन के घर माघ शु. ११ वि. १६४३ में हुआ था । पहिले आप श्वेताम्बर आम्नाय में थे बाद में दिगम्बर हो गये । कुछ समय तक जवाहरात का व्यापार भी किया । वेदान्ती विचारों के कारण अध्यात्मी कहलाते थे । महाकवि गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन थे । आपकी निम्न कृतियें प्रसिद्ध हैं -
- नवरस पद्यावली (यह एक शृंगार रसपूर्ण रचना थी जो पीछे विवेक जागृत होने पर इन्होंने जमुना में फेंक दी । )
- नाममाला,
- नाटक समयसार (वि. १६९३)
- बनारसी विलास (वि. १७०१);
- कर्म प्रकृति विधान (वि. १७००);
- अर्ध कथानक (वि. १६९८) । समय - वि. १६४३-१७०० (ई. १५८७-१६४४) । (जै./२/२०३) । (ती./४/२४८) ।