बलि
From जैनकोष
- पूजा (प.प्र./२/१३९)=
- आहार का एक दोष - देखें - आहार II/४/४
- वसतिका का एक दोष - देखें - वसतिका ।
- ह. पु./२०/श्लोक नं. उज्जयनी नगरी के राजा श्रीधर्मा के ४ मन्त्री थे । बलि, प्रह्लाद, वृहस्पति व नमुचि । (४) एक समय राजा के संग मुनि वन्दनार्थ जाना पड़ा (८) । आते समय एक मुनि से वादविवाद हो गया जिसमें इनको परास्त होना पड़ा (१०) । इससे क्रुद्ध हो प्रतिकारार्थ रात्रि को मुनि हत्या का उद्यम करने पर वनदेवता द्वारा कील दिये गये । तथा देश से निकाल दिये गये (११) । तत्पश्चात् हस्तनागपुर में राजा पद्म के मन्त्री हो गये । वहाँ उनके शत्रु सिंहरथ को जीतकर राजा से वर प्राप्त किया (१७) । मुनि संघ के हस्तनागपुर पधारने पर वर के बदले में सात दिन का राज्य ले (२२) नरमेघ यज्ञ के बहाने, सकल मुनिसंघ को अग्नि में होम दिया (२३) । जिस उपसर्ग को विष्णु कुमार मुनि ने दूर कर इन चारों को देश निकाला दिया (६०) ।