बाल
From जैनकोष
रा.वा./६/१२/७/५२२/२८ यथार्थ प्रतिपत्त्यभावादज्ञानिनो बाला मिथ्यादृष्टय्यादयः । = यथार्थ प्रतिपत्तिका अभाव होने से मिथ्यादृष्टि आदि को अज्ञानी अथवा बाल कहते हैं ।
रा.वा./६/१२/७/५२२/२८ यथार्थ प्रतिपत्त्यभावादज्ञानिनो बाला मिथ्यादृष्टय्यादयः । = यथार्थ प्रतिपत्तिका अभाव होने से मिथ्यादृष्टि आदि को अज्ञानी अथवा बाल कहते हैं ।