भविष्यवाणी
From जैनकोष
आगम में अनेकों विषयों सम्बन्धी भविष्यवाणी की गयी है। यथा–
ति.पं./४/१४८१, १४९३-१४९५ मउडधरेसूं चरिमो जिणदिक्खं धरदि चंदगुत्तो य। तत्तो मउडधरादुप्पव्वज्जं णेव गेण्हंति।१४८१। वीससहस्सं तिसदा सत्तारस वच्छराणि सुदतित्थं। धम्मपयट्टणहेदू वोच्छिस्सादि कालदोसेण।१४९३। तेत्तियमेत्तेकाले जम्मिस्सादि चाउवण्णसंघाओ। अविणी दुम्मेधो वि य असूयको तह य पाएण।१४९४। सत्तभयअडमदेहिसंजुत्तो सल्लगारववरेहि। कलहपिओ रागिट्ठो कूरो कोहाहओ लोओ।१४९५। =
- मुनिदीक्षा सम्बन्धी–मुकुटधरों में अन्तिम चन्द्रगुप्त ने जिनदीक्षा धारण की। इसके पश्चात् मुकुटधारी दीक्षा को धारण नहीं करते।१४८१।
- द्रव्यश्रुत के व्युच्छेद सम्बन्धी–जो श्रुततीर्थ धर्मप्रवर्तन का कारण है, वह बीस हजार तीन सौ सतरह (२०३१७) वर्षों में काल दोष से व्युच्छेद को प्राप्त हो जायेगा।१४९३।
- चतुसंघ सम्बन्धी–इतने मात्र समय में (२०३१७ वर्ष तक) चातुर्वर्ण्य संघ जन्म लेता रहेगा।१४९३।
- मनुष्य की बुद्धि सम्बन्धी–किन्तु लोक प्रायः अविनीत, दुर्बुद्धि, असूयक, सात भय व आठ मदों से संयुक्त, शल्य एवं गारवों से सहित, कलह प्रिय, रागिष्ठ, क्रूर एवं क्रोधी होगा।१४९५।
देखें - स्वप्न। भरत महाराज के स्वप्नों का फल वर्णन करते हुए भगवान् / १६ ऋषभदेव ने पंचमकाल में होने वाली घटनाओं सम्बन्धी भविष्य वाणी की।