भेद
From जैनकोष
- भेद
- विदारण के अर्थ में
स.सि./५/२६/२९८/४ संघातानां द्वितयनिमित्तवशाद्विदारणं भेद:। = अन्तरंग और बहिरंग इन दोनों प्रकार के निमित्तों से संघातों के विदारण करने को भेद कहते हैं। (रा.वा./५/२६/१/४९३/२३)।
रा.वा./५/२४/१/४८५/१४ भिनत्ति, भिद्यते, भेदमात्रं वा भेद:। = जो भेदन करता है, जिसके द्वारा भेदन किया जाता है, या भेदनमात्र को भेद कहते हैं।
ध.१४/५,६,९८/१२१/३ खंधाणं विहडणं भेदो णाम। =स्कन्धों का विभाग होना भेद है।
देखें - पर्याय / १ / १ अंश, पर्याय, भाग, हार,विध, प्रकार, भेद, छेद और भंग ये एकार्थवाची हैं। - वस्तु के विशेष के अर्थ में
आ.प./६ गुणगुण्यादिसंज्ञाभेदाद् भेदस्वभाव:। = गुण और गुणी में संज्ञा भेद होने से भेद स्वभाव है।
न.च.वृ./६२ भिण्णा हु वयणभेदेण हु वे भिण्णा अभेदादो। = द्रव्य, गुण, पर्याय में वचनभेद से तो भेद है परन्तु द्रव्यरूप से अभेदरूप है।
स्या.मं./५/२४/२० अयमेव हि भेदो भेदहेतुर्वा यद्विरुद्धधर्माध्यासः कारणभेदश्चेति। = विरुद्ध धर्मों का रहना और भिन्न-भिन्न कारणों का होना यही भेद है और भेद का कारण है।
- विदारण के अर्थ में
- भेद के भेद
प्र.सा./त.प्र./२ को नाम भेद:। प्रादेशिक अताद्भाविको वा। =भेद दो प्रकार है–अताद्भाविक, व प्रादेशिक।
स.सि./५/२४/२९६/४ भेदाः षोढा, उत्करचूर्णखण्डचूर्णिकाप्रतराणुचटनविकल्पात्। =भेद के छह भेद हैं–उत्कर, चूर्ण, खण्ड, चूर्णिका, प्रतर और अणुचटन।
द्र.सं./टी./१६/५३/९ गोधूमादिचूर्णरूपेण घृतखण्डादिरूपेण बहुधा भेदो ज्ञातव्य:। पुद्गल, गेहूँ आदि के चूनरूप से तथा घी, खांड आदि रूप से अनेक प्रकार का भेद जानना चाहिए। - उत्कर, चूर्ण आदि के लक्षण
स.सि./५/२४/२९६/४ तत्रोत्कर: काष्ठादीनां करपत्रादिभिरुत्करणम्। चूर्णो यवगोधूमादीनां सक्तुकणिकादि:। खण्डोघटादीनां कपालशर्करादिः। चूर्णिका माषमुद्गादीनाम्। प्रतरोऽभ्रपटलादीनाम्। अणुचटनं संतप्ताय:पिण्डादिषु अयोघनादिभिरभिहन्यमानेषु स्फुलिङ्गनिर्गमः। =करोंत आदि से जो लकड़ी आदि को चीरा जाताहै वह उत्कर नाम का भेद है। जौ और गेहूँ आदि का जो सत्तु और कनक आदि बनती है वह चूर्ण नाम का भेद है। घट आदि के जो कपाल और शर्करा आदि टुकड़े होते हैं वह खण्ड का नाम का भेद है। उड़द और मूँग आदि का जो खण्ड किया जाता है वह चूर्णिका नाम का भेद है। मेघ के जो अलग-अलग पटल आदि होते हैं वह प्रतर नाम का भेद है। तपाये हुए लोहे के गोले आदि को घन आदि से पीटने पर जो फुलंगे निकलते हैं वह अणुचटन नाम का भेद है। (रा.वा./५/२४/१४/४८९/५)।
- *अन्य सम्बन्धी नियम
- द्रव्य में कथंचित् भेदाभेद।– देखें - द्रव्य / ४ / २ ।
- द्रव्य में अनेक अपेक्षाओं से भेदाभेद।– देखें - सप्तभंगी / ५ ।
- उत्पाद व्यय ध्रौव्य में भेदाभेद।– देखें - उत्पाद / IV / २ / ६ /३,६/२।
- भेद सापेक्ष वा भेद निरपेक्ष द्रव्यार्थिक नय– देखें - नय / II / ७
- भिन्न द्रव्य में परस्पर भिन्नता– देखें - कारक / २ ।
- पर के साथ एकत्व कहने का तात्पर्य।– देखें - कारक / २ / ५ ।