सेन संघकी गुर्वावलीके अनुसार आप दिवाकरसेनके शिष्य तथा लक्षमणसेनके गुरु थे। समय-वि. ६८०-७२० (ई.६२३-६६३) विशेष दे. इतिहास/७/६।१. (पद्मपुराण सर्ग १२३/१६७); २.(पद्मपुराण / प्रस्तावना १९/पं.पन्नालाल)