मधुपिंगल
From जैनकोष
म.पु./६७/२२३-२५५, ३६६-४५८–सगर चक्रवर्ती विश्वभू के षड्यत्र के कारण स्वयम्वर में ‘सुलसा’ से वंचित रह जाने के कारण दीक्षा धर, निदानपूर्वक देह त्याग यह महाकाल नामक व्यन्तर हो गया और सगर से पूर्व वैर का बदला चुकाने के लिए ‘पर्वत’ को हिंसात्मक यज्ञों के प्रचार में सहयोग देने लगा।