मरीचि
From जैनकोष
- यह भगवान् महावीर स्वामी का दूरवर्ती पूर्व भव है (देखें - वर्धमान ) पूर्वभव नं. २ में पुरुरवा नामक भील था। पूर्वभव नं. १ में सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ। वर्तमान भव में भरत की अनन्तसेना नामक त्री से मरीचि नामक पुत्र हुआ। इसने परिव्राजक बन ३६३ मिथ्या मतों की प्रवृत्ति की। चिरकाल भ्रमण करके त्रिपृष्ठ नामक बलभद्र और फिर अन्तिम तीर्थंकर हुआ। (प.पु./३/२९३); (म. पु./६२/८८-९२ तथा ७४/१४,२०,५१,५६,१९९,२०४)।
- एक क्रियावादी–(देखें - क्रियावाद )।