मानुषोत्तर
From जैनकोष
मध्यलोक पुष्कर द्वीप के मध्य स्थित एक कुण्डलाकार पर्वत– देखें - लोक / ४ / ४ ।
स.सि. /३/३५/२२८/१० पुष्करद्वीपबहुमध्यदेशभागी वलयवृत्तो मानुषोत्तरो नाम शैल:। तस्यात्प्रागेव मनुष्या न बहिरिति। ततो न बहिः पूर्वोक्तक्षेत्रविभागोऽस्ति। ... ततोऽस्यान्वर्थसंज्ञा। = पुष्कर द्वीप के ठीक मध्य में चूड़ी के समान गोल मानुषोत्तर नाम का पर्वत है। उसके पहले-पहले ही मनुष्य हैं, उसके बाहर नहीं (क्योंकि उसको उल्लंघन करने की शक्ति मनुष्यों में नहीं है–( देखें - मनुष्य / ४ / २ ) इसलिए इस पर्वत का मानुषोत्तर यह नाम सार्थक है। (रा.वा./३/३५/.../१९७/३०)।