मित्रनंदि
From जैनकोष
- भगवती आराधना के कर्ता शिवकोटि आचार्य के गुरु थे। समय–ई.श.१ का पूर्व चतुर्थांश। (भ.आ./प्र. २-३/प्रेमी जी)।
- म.पु./५९/श्लोक नं.–भरत क्षेत्र के पश्चिम विदेह क्षेत्र में यह एक राजा था।६३। दीक्षा धारण कर अनुत्तर विमान में देव हुआ।७०।