लब्धि विधान व्रत
From जैनकोष
इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है - प्रथम विधि - भादो, माघ व चैत्र की शु. १,३ को उपवास तथा २,४ की पारणा करे। इस प्रकार छह वर्ष पर्यन्त करे। तथा ‘ओं ह्नीं महावीराय नमः ’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ. ५४)। द्वितीय विधि - तीन वर्ष पर्यन्त भादो, माघ व चैत्र मास में कृ. १५ को एकाशन, १-३ को तेला तथा ४ को एकाशन करे। तथा उपरोक्त मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ. ५४)। तृतीय विधि- प्रतिवर्ष भादो, माघ व चैत्र में शु. १,३ को एकाशन और २ को उपवास। तथा उपरोक्त मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं. पृ. ५४)।