जयवर्मा
From जैनकोष
―(म.पु./५/श्लोक नं.) गन्धिला देश में सिंहपुरनगर के राजा श्रीषेण का पुत्र था।२०५। पिता द्वारा छोटे भाई को राज्य दिया जाने के कारण विरक्त हो दीक्षा धारण कर ली।२०७-२०८। आकाश में से जाते हुए महीधर नाम के विद्याधर को देखकर विद्याधरों के भोगों की प्राप्ति का निदान किया। उसी समय सर्पदंश के निमित्त से मरकर महाबल नाम का विद्याधर हुआ।२०९-२११। यह ऋषभदेव के पूर्व का दसवाँ भव है–देखें - ऋषभ।