दधिमुख
From जैनकोष
नन्दीश्वर द्वीप में पूर्वादि चारों दिशाओं में स्थित चार-चार बावड़ियाँ हैं। प्रत्येक बावड़ी के मध्य में एक-एक ढोलाकार (Cylinderical) पर्वत है। धवलवर्ण होने के कारण इनका नाम दधिमुख है। इस प्रकार कुल १६ दधिमुख हैं। जिनमें से प्रत्येक के शीश पर एक-एक जिन मन्दिर है। विशेष– देखें - लोक / ४ / ५ ।