नलिन
From जैनकोष
- पूर्व विदेहस्थ एक वक्षार गिरि (लोक/५/३)।
- उपरोक्त वक्षार का एक कूट तथा देव (लोक/५/४)।
- अपर विदेहस्थ एक क्षेत्र। (लोक/५/२)।
- आशीर्विष वक्षार का एक कूट तथा देव (लोक/५/४)।
- रुचक पर्वतस्थ एक कूट– देखें - लोक / ५ / १३ ।
- सौधर्म स्वर्ग का आठवाँ पटल– देखें - स्वर्ग / ५ / ३ ।
- काल का एक प्रमाण (गणित/I/१/४)।