शासन
From जैनकोष
- स्या.म./२१/२६३/७ आ सामस्त्येनानन्तधर्मविशिष्टतया ज्ञायन्तेऽवबुद्धयन्ते जीवाजीवादय: पदार्था यया सा आज्ञा आगम: शासनं।=जिसके द्वारा समस्त रूप अनन्तानन्त धर्म विशिष्ट जीवाजीवादिक पदार्थ जाने जाते हैं वह आज्ञा या आगम शासन कहलाता है।
- आत्मा को जानना समस्त जिन शासन का जानना है। - देखें - श्रुतकेवली / २ / ६ ।