श्रुतसागर
From जैनकोष
नन्दिसंघ बलात्कार गण की सूरत शाखा में। (देखें - इतिहास ) आप विद्यानन्दि सं.२ के शिष्य तथा श्रीचन्द्र के गुरु थे। कृति - यशस्तिलक चम्पू की टीका यशस्तिलकचन्द्रिका, तत्त्वार्थवृत्ति (श्रुतसागरी) तत्त्वत्रय प्रकाशिका (ज्ञानार्णव के गद्य भाग की टीका), प्राकृत व्याकरण, जिनसहस्रनाम टीका, विक्रमप्रबन्ध की टीका, औदार्यचिन्तामणि, तीर्थदीपक, श्रीपाल चरित, यशोधर चरित, महाभिषेक टीका (पं.आशाधर के नित्यमहोद्योत की टीका); श्रुतस्कन्ध पूजा, सिद्धचक्राष्टकपूजा, सिद्धभक्ति, वृहत् कथाकोष, षट् प्राभृत की टीका। व्रत कथाकोष। समय - महाभिषेक टीका वि.१५८२ में लिखी गयी है। तदनुसार इनका समय वि.१५४४-१५९० (ई.१४८७-१५३३); (सभाष्य तत्त्वार्थाधिगम/प्र./२ टिप्पण प्रेमीजी); (पं.वि./प्र.३५/A.N.Up.); (प.पु.प्र./६३ A.N.Up.); (ती./३/३९१); (जै./२/३७६) ( देखें - इतिहास / ७ / ४ )।