सर्व संक्रमण निर्देश
From जैनकोष
सर्व संक्रमण निर्देश
१. सर्व संक्रमण का लक्षण
नोट - [अन्त की फाली में शेष बचे सर्व प्रदेशों का अन्य प्रकृतिरूप होना सर्व संक्रमण है। क्योंकि इसका भागाहार एक है।]
गो.क./जी.प्र./४१३/५७६/१० चरमकांडकचरमफाले: सर्वप्रदेशाग्रस्य यत्संक्रमणं तत् सर्वसंक्रमणं णाम। = अन्त के काण्डक की अन्त की फालि के सर्व प्रदेशों में से जो अन्य प्रकृतिरूप नहीं हुए हैं उन परमाणुओं का अन्यप्रकृति रूप होना वह सर्व संक्रमण है।