सार
From जैनकोष
नि.सा./मू./३ विवरीयपरिहरत्थं भणिदं खलु सारमिदि वयणं। = (नियम शब्द का अर्थ नियम से करने योग्य रत्नत्रय है) तहाँ विपरीत का परिहार करने के लिए 'सार' ऐसा वचन कहा है।
स.सा./ता.वृ./१/५/१५ सार: शुद्धावस्था। = सार अर्थात् शुद्ध अवस्था।
नि.सा./मू./३ विवरीयपरिहरत्थं भणिदं खलु सारमिदि वयणं। = (नियम शब्द का अर्थ नियम से करने योग्य रत्नत्रय है) तहाँ विपरीत का परिहार करने के लिए 'सार' ऐसा वचन कहा है।
स.सा./ता.वृ./१/५/१५ सार: शुद्धावस्था। = सार अर्थात् शुद्ध अवस्था।