सुमित्र
From जैनकोष
म.पु./६१/श्लोक-राजगृह नगर का राजा बहुत बड़ा मल्ल था (५७-५८) राजसिंह नामक मल्ल से हारने पर (५९-६०) निर्वेद पूर्वक दीक्षा ग्रहण कर ली (६२)। बड़ा राजा बनने का निदान कर स्वर्ग में देव हुआ (६३-६५) यह पुरुषसिंह नारायण का पूर्व का दूसरा भव है।-देखें - पुरुषसिंह।