सूची
From जैनकोष
Width (ज.प./प्र.१०९)। २. (Diameter or radius व्यास या बाण ?)। ३. सूची निकालने की प्रक्रिया।- देखें - गणित / II / ७ ।
४. ध.३/१,२,१७/१३३/५ अंगुलवग्गमूले विक्खंभसूई हवदि। तं किं भूदमिति वुत्ते विदियवग्गमूलगुणणेण उवलक्खियं। = सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल में (अर्थात् सूच्यंगुल का आश्रय लेकर विष्कंभसूची होती है। वह सूच्यंगुल का प्रथम वर्गमूल किस रूप है, ऐसा पूछने पर आचार्य कहते हैं कि सूच्यंगुल के द्वितीय वर्गमूल के गुणाकार से उपलक्षित है। अर्थात् सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल को उसी के द्वितीय वर्गमूल से गुणित कर देने पर सामान्य नारक मिथ्यादृष्टियों की विष्कम्भ सूची होती है। उदाहरण-सूच्यंगुल २×२; File:Image/441-450/clip image002.gif
५. बद्ध परमाणुओं के गुणों में परिणमन
त.सू./५/३७ बन्धेऽधिकौ पारिणामिकौ च।३७।
स.सि./५/३७/३०७/११ यथा क्लिन्नो गुडोऽधिकमधुररस: परीतानां रेण्वादीनां स्वगुणापादनात् पारिणामिक:। तथाऽन्योऽप्यधिकगुण: अल्पीयस: पारिणामिक इति कृत्वा द्विगुणादिस्निग्धरूक्षस्य चतुर्गुणादिस्निग्धरूक्ष: पारिणामिको भवति। तत: पूर्वावस्थाप्रच्यवनपूर्वकं तार्तीयिकमवस्थान्तरं प्रादुर्भवतीत्येकत्वमुपपद्यते। इतरथा हि शुक्लकृष्णतन्तुवत् संयोगे सत्यप्यपारिणामिकत्वात्सर्वं विविक्तरूपेणैवावतिष्ठेत् । = बन्ध के समय दो अधिक गुण वाला परिणमन कराने वाला होता है।३७। जैसे अधिक मीठे रसवाला गीला गुड़ उस पर पड़ी हुई धूलि को अपने गुणरूप से परिणमाने के कारण पारिणामिक होता है उसी प्रकार अधिक गुणवाला अन्य भी अल्पगुण वाले का पारिणामिक होता है। इस व्यवस्था के अनुसार दो शक्त्यंश वाले स्निग्ध या रूक्ष परमाणु का चार शक्त्यंशवाला स्निग्ध या रूक्ष परमाणु पारिणामिक होता है। इससे पूर्व अवस्थाओं का त्याग होकर उनसे भिन्न एक तीसरी अवस्था उत्पन्न होती है। अत: उनमें एकरूपता आ जाती है अन्यथा सफेद और काले तन्तु के समान संयोग होने पर भी पारिणामिक न होने से सब अलग-अलग ही स्थित रहेगा।
गो.जी./मू./६१९/१०७४ णिद्धीदरगुणा अहिया हीणं परिणामयंति बंधम्मि। संखेज्जासंखेज्जाणंतपदेसाण खंधाण। = संख्यात असंख्यात अनन्तप्रदेश वाले स्कन्धों में स्निग्ध या रूक्ष के अधिक गुण वाले परमाणु या स्कन्ध अपने से हीन गुण वाले परमाणु या स्कन्धों को अपने रूप परिणमाते हैं। (जैसे एक हज़ार स्निग्ध या रूक्ष गुण के अंशों से युक्त परमाणु या स्कन्ध को एक हजार दो अंश वाला स्निग्ध या रूक्ष परमाणु या स्कन्ध परणमाता है।)
* गुणों का परिणमन स्वजाति की सीमा का लंघन नहीं कर सकता- देखें - गुण / २ / ७ ।