अनुकोशा
From जैनकोष
दारुग्रामवासी विमुचि ब्राह्मण की आर्या, अतिभूति की जननी । इसने कमलकान्ता आर्यिका से दीक्षित होकर तप धारण कर लिया था । शुभ ध्यान पूर्वक महानि:स्पृह भाव से मरण कर यह ब्रह्मलोक में देवी हुई थी तथा यहाँ से च्युत हो चन्द्रगति विद्याधर की पुष्पवती नाम की भार्या हुई । पद्मपुराण 30.116, 124-125, 134