अर्कोपसेवन
From जैनकोष
सूर्योपासना । अयोध्या नगरी में काश्यप गोत्र के इक्ष्वाकुवंशी राजा वज्रबाहु और रानी प्रभंकरी का आनन्द नामक पुत्र था । इसने विकृति मुनि से धर्मश्रवण किया था । मुनि ने इसे चैत्य और चैत्यालयों को अचेतन होते हुए पुण्यबंध के कारण बताया था और सूर्य विमान तथा उसमें जिनमंदिर भी बनवाया था । इस प्रकार इस राजा की सूर्योपासना को देखकर दूसरे लोग भी सूर्य-स्तुति करने लगे, और लोक में सूर्योपासना आरम्भ हो गयी । महापुराण 73.42-60