उपशमक
From जैनकोष
चारित्रमोहनीय कर्म का उपशमन कर्ता जीव । ऐसे जीव अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण, सूक्ष्मसांपराय और उपशान्त मोह इन चार गुणस्थानों में होते हैं । हरिवंशपुराण 3.82
चारित्रमोहनीय कर्म का उपशमन कर्ता जीव । ऐसे जीव अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण, सूक्ष्मसांपराय और उपशान्त मोह इन चार गुणस्थानों में होते हैं । हरिवंशपुराण 3.82