कल्याणपूर्व
From जैनकोष
चौदह पूर्वों में ग्यारहवाँ पूर्व । इसमें छब्बीस करोड़ पद है इन पदों में सूर्य, चन्द्रमा आदि ज्योतिषी देवों के संचार का, सुरेन्द्र और असुरेन्द्रकृत त्रेसठ शलाकापुरुषों के कल्याण का तथा स्वप्न, अन्तरिक्ष, भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण और छिन्न इन अष्टांग निमित्तों और अनेक शकुनों का वर्णन है । हरिवंशपुराण 2.99, 10.115-117