कुण्डलगिरि
From जैनकोष
कुण्डलवर द्वीप के मध्य में चूड़ी के आकार का यवों की राशि के समान सुशोभित एक पर्वत । इसकी गहराई एक हजार और ऊंचाई बयालीस हजार योजन है । चौड़ाई मूल में दस हजार दो सौ बीस योजन, मध्य में सात हजार एक सौ इकंसठ योजन और अन्त में चार हजार छियानवें योजन है । शिरोमार्ग पर पूर्व आदि दिशाओं में चार-चार कट है । महापुराण 5.291, हरिवंशपुराण 5.686-694